Pahalgam Terrorist Attack Detail: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को पांच से छह आतंकवादी उस जगह पर पहुंचते हैं जो वहां का सबसे खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट है. यहां पे टूरिस्ट आमतौर पर चाय, कहवा, कोल्ड ड्रिंक पीने या फिर रिफ्रेशमेंट लेने के लिए आते हैं. पास में नहर बह रही है उसे देखते हैं. एक खूबसूरत मंजर है. अचानक गोलियां चलने लगती हैं, जिसमें 26 लोग मारे जाते हैं और कई घायल हो जाते हैं.
ये जो पहलगाम का एरिया है इसके इर्द-गिर्द चारों तरफ जंगल ही जंगल हैं. सर्दी के महीने में यहां बर्फ पड़ती है 10 फुट गहरी तक बर्फ हो जाती है तो सर्दियों में इस बर्फ के बीच में रहना इंसानों के लिए बड़ा मुश्किल होता है लेकिन टेररिस्ट के लिए सबसे सेफ जगह मानी जाती है. ये जंगल भी इतना फैला हुआ है कि ये पहलगाम से होते हुए अनंतनाग जिले के तराल तक चला जाता है. जब सर्दी पड़नी शुरू होती है तो इस जंगल में जितने भी आतंकवादी पनाह लिए होते हैं वो नीचे उतर जाते हैं. कुछ जो सीमा पार से आते हैं वो वहीं लौट जाते हैं, जो लोकल हैं वो अपने-अपने घरों को लौट जाते हैं. जैसे ही सर्दी खत्म और गर्मी शुरू होने वाली होती है तो सरहद पार से घुसपैठ शुरू होती है और यह आतंकवादी जंगल में पहुंच जाते हैं.
जंगलों में रहने की आतंकियों को दी जाती है ट्रेनिंग
इनकी पूरी ट्रेनिंग ऐसी होती है कि न ये सड़क का इस्तेमाल करते हैं न गाड़ियों का. क्योंकि इन्हें पता है कि कश्मीर घाटी में जगह-जगह नाकाबंदी है वहां पे फोर्स लगी हुई है. पकड़े जाने का डर होता है. इनकी ट्रेनिंग इस बात की होती है कि जब सरहद पार से जाओगे तो पैदल चलना है और यह पूरा सफर पैदल ही तय करना है और इन्हें जंगलों में चलने की ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही यह भी कि जंगल में कैसे तेज कदम से आप चलोगे ताकि जो बाकी फोर्सेस हैं उनसे आगे रहो. एवरेज 10 मिनट में बहुत आराम से बिना तेज भागे हुए ये 1 किमी का सफर तय कर कर सकते हैं.
जंगल में पहले से ही छिपे हुए थे आतंकी?
पिछले साल पाकिस्तान से तीन आतंकवादी पहलगाम के इलाके में पहुंचते हैं. अब तक इनके छुपे होने का जो ठिकाना था वो तराल की तरफ था. फिर ये वहां से निकलते हैं और तराल से होते हुए फिर पहलगाम की तरफ आते हैं और छुपे रहते हैं. जंगलों में इन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल काम है. ये अपने पास कोई गैजेट भी नहीं रखते, सिवाय हथियार के.
जब यह हमला हुआ मुश्किल से 10 मिनट में इन आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं और 10 मिनट के बाद यह जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से वापस चले गए. उन्हें पता था कि 10 मिनट के बाद यहां पे फर्सेस भी पहुंचेगीं. जंगल के अंदर घुसने के बाद ये वहां से कहां गुम हो गए कोई नहीं जानता. अब सेना इनकी तलाश कर रही है. इनकी ट्रेनिंग का पार्ट यह भी है कि खाना पीना भी ये सब जंगल के हिसाब से कर लेंगे. जो मिलिट्री की टीमें हैं, इन आतंकियों की तलाश में जंगल में भी सर्च ऑपरेशन चला रही हैं.
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